वाराणसी शहंशाहपुर गौ-आश्रय केंद्र में बायो सीएनजी प्लांट उत्तर प्रदेश सरकार की एक परियोजना है। संयंत्र का उद्घाटन 25 अक्टूबर, 2021 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ द्वारा किया गया था। प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 1000 किलोग्राम बायो सीएनजी उत्पादन करने की है। बायो सीएनजी का उपयोग उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) की बसों में ईंधन भरने के लिए किया जा रहा है। प्लांट का निर्माण कार्य जुलाई 2021 में शुरू हुआ और अक्टूबर 2021 में पूरा हुआ। प्लांट की स्थापना यूपी स्टेट बायो सीएनजी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPSCBDCL) द्वारा की गई है। यह संयंत्र बायो सीएनजी का उत्पादन करने के लिए गौ-आश्रय केंद्र में गायों के गोबर का उपयोग करता है। गोबर को पहले बायोगैस में बदला जाता है और फिर बायोगैस को बायो सीएनजी में बदला जाता है। इस परियोजना के निर्माण से शहर में प्रदूषण को कम करने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करके इसे ऊर्जा का एक स्थायी स्रोत बनाकर पर्यावरण को बचाने में मदद मिली है। इससे वाराणसी के लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं। बायो सीएनजी प्लांट वाराणसी शहर के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस संयंत्र ने शहर को रहने के लिए एक स्वच्छ और हरित जगह बनाने में भी मदद की है।
Rs. 23 Cr
Project_Cost
2500 Kg
सीएनजी प्रति दिन
30.000 Kg
प्रति दिन खाद
40,000 Liter
तरल उर्वरक
70 Ton
मुख्य पाचन क्षमता
20 Ton
द्वितीयक पाचक
Major_Benefits
इस संयंत्र ने प्रदूषण कम करने, रोजगार पैदा करने और वाहनों के लिए स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने में मदद की है। वाराणसी शाहंशाहपुर गौ-आश्रय केंद्र में बायो सीएनजी प्लांट के कई फायदे हैं, जिनमें शामिल हैं: प्रदूषण कम करता है: संयंत्र गाय के गोबर और अन्य जैविक अपशिष्ट को बायोगैस में परिवर्तित करके प्रदूषण को कम करने में मदद करता है। बायोगैस एक स्वच्छ जलने वाला ईंधन है जो जीवाश्म ईंधन की तुलना में कम उत्सर्जन पैदा करता है। रोज़गार उत्पन्न करता है: संयंत्र के निर्माण और संचालन के दौरान 1000 नौकरियाँ पैदा होने की उम्मीद है। वाहनों के लिए स्वच्छ ईंधन प्रदान करता है: संयंत्र द्वारा उत्पादित बायोगैस का उपयोग बसों और टैक्सियों जैसे वाहनों को ईंधन देने के लिए किया जा सकता है। इससे वाराणसी में वायु प्रदूषण को कम करने और वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिली है। किसानों की आय में वृद्धि: संयंत्र ने उन किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान किया है जो संयंत्र को अपनी गाय का गोबर बेचते हैं। पर्यावरण में सुधार: संयंत्र ने प्रदूषण को कम करके और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाकर पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद की है।