दरभंगा घाट के बारे में
यह घाट और इसका भव्य महल मूल रूप से नागपुर के राजा के मंत्री श्रीधर नारायण मुंशी की पहल पर 1812 ईस्वी में बनाया गया था। प्रारंभ में यह मुंशी घाट का ही हिस्सा था। बाद में 1915 ईस्वी में दरभंगा के राजा रामेश्वर सिंह बहादुर ने इस महल को खरीदा और तभी से इसका नाम दरभंगा घाट पड़ा।
आज यह घाट अपने ऊपर स्थित बृजरमा पैलेस के कारण प्रसिद्ध है, जो बलुआ पत्थर से बना एक अद्भुत महल है और अब इसे एक हेरिटेज होटल में परिवर्तित कर दिया गया है। इसकी राजपूत-मुगल शैली की वास्तुकला, आकर्षक झरोखे और रोशनी से सजी हुई भव्यता देखने योग्य है।
घाट की सीढ़ियों और महल की बालकनी से खड़े होकर कोई भी बिना भीड़ में घुसे, दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती का अद्भुत दृश्य देख सकता है।