संकठा घाट के बारे में
वाराणसी में गंगा के किनारे बसा संकठा घाट, संकटों और भय से रक्षा करने वाली देवी संकटा के नाम पर एक शांत शरणस्थली है। इस घाट का नाम संकटा देवी के प्रसिद्ध मंदिर के कारण पड़ा है। संस्कृत में "संकठा" का अर्थ "खतरा" होता है और भक्त संकटों को दूर करने के लिए देवी से प्रार्थना करते हैं।
इस मंदिर का जीर्णोद्धार बड़ौदा की राजमाता ने 1820 में करवाया था। इस घाट का शिलान्यास 1825 में प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान पंडित विश्वम्भर दयाल की पत्नी ने करवाया था। इसका जीर्णोद्धार 1923 में बड़ौदा के महाराजा सियाजी राव ने करवाया था।
संकठा घाट सिखाता है कि शक्ति पलायन में नहीं, बल्कि ईश्वर के प्रति समर्पण के साथ जीवन की चुनौतियों को शांतिपूर्वक स्वीकार करने में निहित है।